निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
साथियों का दबाव
साथियों या साथ में पढ़ने वाले सहपाठियों का प्रभाव तो सभी के उपर पड़ता ही है। आज के समय में बच्चे इस प्रभाव को बहुत अधिक महसूस कर रहे हैं क्योंकि यह प्रभाव अब दबाव का भी रूप लेता जा रहा है। किशोर अवस्था यानि टीनेज बच्चों में साथियों कारण होने वाले दबाव का सबसे अधिक प्रभाव देखा जा सकता है। इस आयु के बच्चे अपनी एक अलग पहचान को बनाने का प्रयास करते हैं और इस प्रयास में वे अपने माता-पिता से अधिक अपने मित्रों और साथियों का अनुसरण या नकल करने का प्रयास करते हैं। यह समय युवाओं और किशोरों के सामाजिक विकास, मानसिक तथा भावनात्मक विकास का होता है, जिसमें उनके साथियों और सहपाठियों की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती हैै।
साथियों और सहपाठियों की युवाओं और किशोरों के जीवन में एक सकारात्मक भूमिका भी होती है। मित्र और सहपाठी में अगर सही आदतें और चारित्रिक गुण हैं तो युवा में भी उन गुणों का विकास होता है। स्कूल या कॉलेज में उसकी उपस्थिति नियमित हो जाती है। एक-दूसरे के साथ स्वस्थ प्रतियोगिता का भाव आने से शिक्षा में एकाग्रता और लगन का समावेश होता है। इसके प्रभाव से शिक्षा के अलावा खेल-कूद और अन्य विधाओं में अपने सहपाठियों के साथ भाग लेने की प्रवृति बढ़ती है। किशोरों का सामाजिक दायरा बढ़ता है और उसमेलोगों के बीच स्वयं को प्रस्तुत करने का आत्मविश्वास जागृत होता हैै।
सहपाठियों का अनुसरण करने और उनके प्रभाव में आने से कई बार किशोरों और युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव भी दिखाई देते हैं। उनके सहपाठियों या साथियों में अगर कुछ गलत आदतें हैं तो उनका प्रभाव युवाओं और किशोरों पर भी पड़ता है। अपने साथियों के दबाव में आकर और अकेले रह जाने के डर से वे उन आदतों को अपना लेते हैं जो उनके विनाश का कारण बनती हैं। यह देखा गया है कि अपने साथियों के दबाव में आकर अक्सर युवा और किशोर ड्रग्स एवं शराब के नशे के शिकार बनते हैं। उनमें दूसरों की अवहेलना करने तथा असामाजिक व्यवहार करने की प्रवृति बढ़ जाती है। इसके परिणामस्वरूप कुछ युवा आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं और उनका जीवन अंधकारमय हो जाता है।
साथियों और सहपाठियों के दबाव से होने वाले नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए किशोर और युवा कुछ सुझावों का उपयोग कर सकते हैं। सबसे पहले उन्हें ना कहना सीखना चाहिए। यदि उन्हें लग रहा है कि उनके सहपाठी उनपर किसी गलत कार्य को करने के लिए दबाव डाल रहे हैं तो उन्हें मना करने का आत्मविश्वास रखना चाहिए। अपने माता-पिता या स्कूल या कॉलेज के सलाहकारों से अपनी समस्या कहनी चाहिए। वे हमारे शुभचिंतक होते हैं एवं अपने अनुभव तथा ज्ञान के कारण हमारी सहायता करने में सक्षम होते हैं। युवाओं को सही मित्रों का चुनाव करना सीखना चाहिए सिर्फ बाहरी दिखावे और बनावटी उग्रता को देखकर प्रभावित नहीं होना चाहिए। सावधानी से अपने व्यवहार और चरित्र के अनुकूल मित्रों का चयन करना चाहिए। इन उपायों को अपना कर युवा और किशोर सहपाठी और साथियों के दबाव के हानिकारक परिणामों से बचकर अपने मित्रों के साथ का लाभ उठा सकेंगे।
प्रश्न
(क) साथियों के दबाव का प्रभाव सबसे अधिक किस उम्र के बच्चों में देखा जाता है और क्यों?
(ख) सहपाठियों का किशोरों के जीवन पर क्या-क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ता है?
(ग) किन कारणों से युवा या किशोर अपने साथियों के गलत दबाव में आ जाते हैं?
(घ) साथियों के दबाव के क्या नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं?
(ड.) किन उपायों का प्रयोग करके किशोर या युवा साथियों के दबाव के नकारात्मक परिणाम से बच सकते हैं?
“अपठित गद्यांश नए-नए शब्दों को सीखने, विचारों को व्यक्त करने और शुद्ध वाक्य रचना करने में सहायक होते हैं। ”