HINDI UNSEEN PASSaGES
Bharat ka forest man-Unseen Passage in Hindi
भारत का फॉरेस्ट मैन-अपठित गद्यांश
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
भारत का फॉरेस्ट मैन
भारत के आसाम राज्य में ब्रह्मपुत्र नदी में माजूली नाम का एक द्वीप है। ब्रह्मपुत्र नदी में हर साल आने वाली बाढ़ ने माजूली द्वीप की मिट्टी की परत को पूरी तरह नष्ट कर दिया था।वहाँ बस रेत ही रेत बची थी। आज उसी रेत के बीच 550 एकड़ का एक जंगल बस गया है जिसे बनाने का श्रेय जादव मोलाई पायंग को जाता है जिन्हें भारत का फॉरेस्ट मैन भी कहा जाता है।
जादव पायंग ने माजूली द्वीप पर एक ऐसे जंगल की रचना की है जिसमें 5 हजार से अधिक विभिन्न प्रजातियों के पेड़ हैं। यही नहीं वहाँ पर अब बाघ, हाथी, हिरण और अन्य वन्य पशु भीआकर रहने लगे हैं। इस जंगल को जादव पायंग ने अकेले बिना किसी की मदद के लगाया है। इसकी शुरुआत 1979 में हुई थी, जब ब्रह्मपुत्र में आई हुई भीषण बाढ़ के बाद 14 वर्षके पायंग ने देखा कि नदी सारे पेड़ और मिट्टी बहा कर ले गई। नदी के किनारे रेत पर सैकड़ों साँप धूप में पानी और पेड़ों के अभाव में गर्मी में झुलस कर मर गए। इसे देखकर जादव को महसूस हुआ कि मिट्टी और पेड़ों के अभाव में हम मनुष्यों का भी यही परिणाम होने वाला है। जादव ने बिना शिक्षा के भी अपने अनुभव से यह अंदाजा लगाया कि अगर पेड़ यहाँ होंगे तो उनकी जड़ें मिट्टी को पकड़ कर रखेंगी और मिट्टी में नमी भी बनी रहेगी।
बस उस दिन से रेतीली धरती में पेड़ लगाना जादव ने अपना जीवन व्रत बना लिया। वे धरती में गड्डा खोदते उसमें बीज डालते और उनके बड़े होने तक उनकी देखभाल करते। बीस वर्षों के उनके अकेले के परिश्रम से वहाँ एक गहन जंगल खड़ा हो गया। एक फोटोग्राफर जब अचानक वहाँपहुँच गए तो उनके लेख ने दुनिया जादव पायंग के इस अद्भुत कार्य से परिचित कराया। 2013 में उन पर बनी एक शॉर्ट फिल्म फॉरेस्ट मैन को बहुत सराहा गया। जादव के द्वारा बसाए गए जंगल का नाम मोलाई जंगल पड़ गया है। 2015 में उन्हें भारतीय राष्ट्रपति श्री अब्दुलकलाम के हाथों पद्मश्री का सम्मान मिला।
विश्व भर में सम्मानित होने पर भी जादव और उनका परिवार एक बहुत साधारण जीवन जीता है। दूध बेचकर उनकी जीविका चलती है। जादव इसका पूरा श्रेय भी स्वयं नहीं लेते। उनके अनुसार उनके परिश्रम को जंगल में बदलने में स्वयं प्रकृति ने उनकी सहायता की। उन्होंने थोड़े पेड़ लगाए और फिर उन पेड़ों ने अपने बीजों से दूसरे पेड़ों को जन्म दिया। पेड़ों के इस कार्य में पंछियों ने, हाथियों ने, दूसरे जानवरों ने और खुद नदी ने उनकी सहायता की। जादव का मानना है कि अगर हम थोड़ी भी सहायता करें तो प्रकृति स्वयं अपना पुनर्निर्माणकर लेती है।
प्रश्न
(क) माजूली कहाँ स्थित है? ब्रह्मपुत्र नदी से माजूली को क्या नुकसान पहुँचा?
(ख) भारत का फॉरेस्ट मैन किसे कहा जाता है और क्यों?
(ग) 14 वर्ष के पायंग ने क्या देखकर और क्या सोचकर पेड़ लगाने का निर्णय लिया?
(घ) उनके बारे में दुनिया को कैसे पता चला और उन्हें कौन सा सम्मान मिला?
(ड.) पायंग के अनुसार प्रकृति ने उनकी सहायता कैसे की?
अपठित गद्यांश
अपठित गद्यांश के प्रश्नों के उत्तर लिखते समय अपने शब्दों का प्रयोग करें।
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प्रश्नों के उत्तर छोटे होने चाहिए और भाषा सरल होनी चाहिए।
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गद्यांश को एक से दो बार ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए।
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गद्यांश को दूसरी बार पढ़ने से पहले सभी प्रश्नों को एक बार पढ़ें।
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अपठित गद्यांश के प्रश्नों के उत्तर पूछे गए प्रश्नों के अनुसार ही लिखने का प्रयास करें।
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“अपठित गद्यांश नए-नए शब्दों को सीखने, विचारों को व्यक्त करने और शुद्ध वाक्य रचना करने में सहायक होते हैं। ”