MAHA SHIVRATRI

महाशिवरात्रि

2021

महाशिवरात्रि 2021

महाशिवरात्रि शिव के लिए मनाया जाने वाला विशेष पर्व है। शिव त्रिदेव हैं, देवों के देव महादेव हैं। वे ही सारी कलाओं और विद्याओं के जन्मदाता हैं। वे ही इस सृष्टि के विनाशक रूद्र हैं। शक्ति के साथ एक होकर वे ही हमारे अस्तित्व के कण-कण में व्याप्त हैं। कंठ में विष धारण कर वे नीलकंठ कहलाते हैं और गले में सर्प की माला पहनकर नागेंद्र कहे जाते हैं। परम शिव महायोगी हैं पर वे शिव ही पार्वती गणेश तथा कार्तिकेय के साथ महासंसारी भी हैं। शिव मानव के हर रूप के सहायक एवं प्रतीक हैं। महाशिवरात्रि का पर्व इन्हीं अनंत, अविनाशी, अजन्मा, परात्पर शिव की महाआराधना का त्यौहार है। जिसे भारत के हर एक कोने में अत्यंत उत्साह, भक्ति और प्रेम से मनाया जाता है।

"शिवरात्रि का महत्व"

शिव की रात्रि अर्थात शिवरात्रि तो हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है जिसमें भक्त शिव की आराधना करते हैं।

"महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है"

महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि को कहा जाता है। यह माह की सबसे अंधकारमय रात्रि होती है।

'महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है"

इस तिथि को विशेष रुप से भव्यता से मनाने के पीछे बहुत सारे मान्यताएँ या पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। आइए देखते हैं कि यह कथाएँ हमें शिवरात्रि महाशिवरात्रि के महत्व के बारे में क्या बताती हैं-

1 एक कथा हमें यह बताती है इस दिन योगी शिव का विवाह पर्वतराज हिमालय की कन्या पार्वती से हुआ था जो स्वयं माँ भगवती हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड आनंद से परिपूर्ण था। शिव-पार्वती या शिव एवं शक्ति के इस महामिलन दिवस को आनंदपूर्वक हर वर्ष महाशिवरात्रि के दिन फिर से मनाया जाता है।


2 एक और मान्यता हमें यह बताती है कि जब अमृत की खोज में समुद्र मंथन किमहाशिवरात्रि का यह पर्व सभी के लिए परम सुखदायी, कल्याणकारी त्यौहार है। शिव भक्त संसारी और योगी सभी के लिए शिव परम सिद्धि कारक हैं। कुमारी कन्याएँ उपवास का पालन करते हुए इस दिन शिवलिंग पर दूध-जल का अर्पण करती हैं। इसके पीछे उनकी यह विशेष अभिलाषा होती है कि माँ भगवती की तरह ही वे भी शिव जैसा पति प्राप्त करें। या गया तो परम हलाहल विष कालकूट बाहर निकला और पूरी सृष्टि विनाश की कगार पर खड़ी हो गई। जब यह संपूर्ण सृष्टि अपने विनाश को भय से देख रही थी तो सबने परम कल्याणकारी शिव से रक्षा की आतुर प्रार्थना की। संसार की रक्षा करने के लिए परम शिव ने उस ज्वलंत विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। भोलेनाथ शिव की इसी परम कल्याणकारी आशीर्वादपूर्ण घटना की स्मृति में महाशिवरात्रि मनाई जाती है।


3 एक और दिव्य कथा हमें यह बताती है कि सृष्टि के कण-कण में व्याप्त शिव इसी दिन अपने ज्योतिर्मय लिंग रूप में प्रकट हुए थे और उनके उस दिव्य अलौकिक प्रकाश से संपूर्ण ब्रह्मांड प्रकाशित हो गया था। उनके इसी दिव्य अवतरण की स्मृति में महाशिवरात्रि को मनाया जाता है।



4 अन्य एक कथा के अनुसार जब गंगा भागीरथ के आह्वान पर धरती पर उतरने वाली थीं तो उनके प्रचंड वेग से धरती की रक्षा करने के लिए परम करुणामय शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण कर लिया था। जहाँ से वे अपने सौम्य रूप में एक नदी का आकार लेकर पृथ्वी पर अवतरित हुई। इस कारण महाशिवरात्रि के दिन लोग जल से गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।



"महाशिवरात्रि कैसे मनाएँ"

महाशिवरात्रि का यह पर्व सभी के लिए परम सुखदायी, कल्याणकारी त्यौहार है। शिव भक्त संसारी और योगी सभी के लिए शिव परम सिद्धि कारक हैं। कुमारी कन्याएँ उपवास का पालन करते हुए इस दिन शिवलिंग पर दूध-जल का अर्पण करती हैं। इसके पीछे उनकी यह विशेष अभिलाषा होती है कि माँ भगवती की तरह ही वे भी शिव जैसा पति प्राप्त करें।इस दिन परिवार के सभी लोग उपवास का पालन करते हुए मन से शिव के नाम का जप करते हुए शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। इस दिन सभी लोग एक विशेष आनंद एवं भक्ति का अनुभव करते हैं।इसलिए आप भी यथासंभव उपवास का पालन करें। उपवास शरीर को निर्मल बनाता है जिससे शरीर तो स्वस्थ होता ही है मन भी अन्य के प्रभाव से मुक्त होकर शांत हो जाता है और हम शिव की कृपा का विशेष अनुभव कर पाते हैं। अपने शरीर के सामर्थ्य के अनुसार आप नीचे दिए गए उपवासों में से किसी भी एक प्रकार के उपवास का पालन कर सकते हैं। बस इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप किसी भी तरह की बीमारी या अस्वस्थता से ग्रस्त हैं तो सबसे पहले अपने डॉक्टर की सलाह लेकर ही उपवास के बारे में सोचें-

"मानसिक ध्यान जप"

इस परम दिव्य दिवस में पूरे दिन मन को शांत रखें एवं ह्रदय में शिव का स्मरण बनाए रखें। महाशिवरात्रि का यह दिन बहुत ही पुण्यदायी और कल्याणकारी होता है। इस दिन की रात्रि का तो कुछ अद्भुत ही महत्व है। शिव नाम का महाशिवरात्रि का यह पर्व सभी के लिए परम सुखदायी, कल्याणकारी त्यौहार है। शिव भक्त संसारी और योगी सभी के लिए शिव परम सिद्धि कारक हैं। कुमारी कन्याएँ उपवास का पालन करते हुए इस दिन शिवलिंग पर दूध-जल का अर्पण करती हैं। इसके पीछे उनकी यह विशेष अभिलाषा होती है कि माँ भगवती की तरह ही वे भी शिव जैसा पति प्राप्त करें। इस दिन परिवार के सभी लोग उपवास का पालन करते हुए मन से शिव के नाम का जप करते हुए शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। इस दिन सभी लोग एक विशेष आनंद एवं भक्ति का अनुभव करते हैं।इसलिए आप भी यथासंभव उपवास का पालन करें। उपवास शरीर को निर्मल बनाता है जिससे शरीर तो स्वस्थ होता ही है मन भी अन्य के प्रभाव से मुक्त होकर शांत हो जाता है और हम शिव की कृपा का विशेष अनुभव कर पाते हैं। अपने शरीर के सामर्थ्य के अनुसार आप नीचे दिए गए उपवासों में से किसी भी एक प्रकार के उपवास का पालन कर सकते हैं। बस इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप किसी भी तरह की बीमारी या अस्वस्थता से ग्रस्त हैं तो सबसे पहले अपने डॉक्टर की सलाह लेकर ही उपवास के बारे में सोचें-जप, ऊँ नमः शिवाय का जप, महामृत्युंजय मंत्र का जप इस दिन एवं रात्रि को कई गुना अधिक विशेष फल प्रदान करने वाला माना जाता है। इसका पूर्ण लाभ उठाने के लिए शांत चित्त होकर आसन में बैठकर इनका अपनी भक्ति और सामर्थ्य के अनुसार जप करना चाहिए।

"महाशिवरात्री को रात्री जागरण"

जैसा कि महाशिवरात्रि के नाम से ही पता चलता है कि इस विशेष रात्रि का एक दिव्य महत्व है। इस रात्रि को जागरण करना विशेष फलदायी माना गया है। सांसारिक उन्नति और आध्यात्मिक उन्नति की इच्छा रखने वाले लोग महाशिवरात्रि को जागरण करते हैं। वैसे तो देश भर के शिव मंदिरों में यह जागरण एक विशेष रूप में मनाया जाता है परंतु कुछ लोग अपने घरों या क्षेत्रों में इस जागरण का आयोजन करते हैं।परम शिव आदि गुरु और महायोगी हैं। योगी जनों के लिए तो यह रात्रि एक विशेष दिव्यता का स्थान रखती है। वे अपनी रात्रि शिव साधना में व्यतीत करते हैं।

"महाशिवरात्री में रात्री जागरण कैसे करें"

महाशिवरात्रि में टीवी चैनलों एवं आध्यात्मिक संस्थाओं द्वारा रात्रि जागरण के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। आप भी अपने घर में बैठकर ही इन्हें देखते हुए शिव नाम का संकीर्तन करते हुए रात्रि जागरण कर सकते हैं।

"महाशिवरात्रि के व्रत के लिए क्या भोजन बनाएँ"

महाशिवरात्रि के व्रत का पालन करने के लिए राम दाने के आटे, कुट्टू के आटे या सिंघाड़े के आटे का प्रयोग किया जा सकता है। आप इसके लिए पहले से पीसे आटे का प्रयोग कर सकते हैं अथवा घर में इन्हें पीस कर आटा बना सकते हैं। इनसे आप रोटी बना सकते हैं या पकौड़ी भी बना सकते हैं। यह ध्यान रखें कि व्रत के भोजन में साधारण नमक का उपयोग न करके सेंधा नमक का प्रयोग करें। मखाना, साबूदाने का भी प्रयोग करके नमकीन खिचड़ी, या मीठी खीर बनाई जा सकती है। आलू का प्रयोग भी व्रत के लिए किया जा सकता है। व्रत में पकवान बनाने की बहुत सारी विधियाँ हर जगह उपलब्ध हैं इसके लिए आप इस पुस्तक का भी सहारा ले सकते हैं।






"महाशिवरात्रि में पूजा कैसे करें"

महाशिवरात्रि की पूजा शिवलिंग पर दूध, जल, फूल, फल, धतूरा व बेलपत्र आदि शिवलिंग पर अर्पाण करके की जाती है। इस दिन शिवलिंग के समक्ष दीपक प्रज्वलित करने को भी विशेष महत्वपूर्ण माना गया है कहते हैं इससे घर में धन की वृद्धि होती है। इसके लिए आप मंदिर जा सकते हैं या फिर अपने ही घर में शिवलिंग पर इनका अभिषेक कर अपनी पूजा पूर्ण कर सकते हैं। शिवलिंग कई प्रकार के होते हैं जिनमें नर्मदेश्वर शिवलिंग का अपना एक विशेष महत्व है नर्मदा नदी की गहराइयों में मिलने वाले यह शिवलिंग शिव आराधना में अपना एक विशेष स्थान रखते हैं। वैसे तो शिव भोलेनाथ हैं और सभी रीतियों और नियमों से परे हैं मिट्टी के शिवलिंग बनाकर दी उनकी आराधना की जा सकती है। परंतु हम उन्हें विभिन्न रूपों में अपने हृदय में और अपने घर में स्थापित करना चाहते हैं। अपने पूजा स्थल को ही इतना भव्य और दिव्य बना लें कि घर में ही मंदिर बन जाए।




"महाशिवरात्रि में ध्यान"

जप कैसे करें-शिव नाम जप तो हमेशा ही कल्याणकारी है। हमारी इच्छाओं को पूरा करने वाला है। परंतु महाशिवरात्रि के इस विशेष पावन तिथि पर शिव नाम का जप कई-कई गुना अधिक फल प्रदान करने वाला होता है। हल्के वस्त्र पहन कर, ऊनी आसन पर बैठकर, शांत चित्त हृदय से ऊँ नमः शिवाय का जप करना या फिर महामृत्युंजय मंत्र का जप करना शारीरिक, मानसिक, आर्थिक बाधाओं को दूर करने वाला होता है। शिव की कथा का पाठ करने में जिनकी रूचि है वे महाशिवपुराण का पाठ कर सकते है। जो इसे कठिन मानते हैं तथा शिव का नाम आनंद से लेना चाहते हैं वे शिव पर बनाए गए सीरियलों को भी देख सकते हैं। उद्देश्य बस इतना है कि आपके हृदय और मन में शिव की छवि और नाम स्मरण चलता रहे।




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"महाशिवरात्रि को आनंद और उत्साह से कैसे मनाएँ"

महाशिवरात्री का यह पर्व विशेष आनंद का भी पर्व है। इसी दिन लंबी प्रतीक्षा के पश्चात शिव और पार्वती का विवाह हुआ था और संपूर्ण संसार नाचते गाते इसमें शामिल हुआ था। अत: सभी परिवार के सदस्य को मिलकर नए सुन्दर कपड़े पहन कर इसे उत्साह से मनाएँ। पति-पत्नी जो शिव और शक्ति के स्वरूप होते हैं उन्हें एक दूसरे का मान करते हुए, सुन्दर वस्त्रों और रूपों में सज्जित होकर आनंद के साथ इस दिन को मनाना चाहिए

आशा है कि आपकी जिज्ञासाओं का समाधान इस लेख में हो पाया एवं महाशिवरात्रि के इस महान पर्व के महत्व की चर्चा ने आपको प्रेरित और प्रभावित किया।।










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