Neel Pari-Children’s Story in Hindi

बच्चों की कहानी

Author

Anny

NEEL PARI

नील परी

नील परी


एक खूबसूरत घने जंगल के बीच एक बहुत सुंदर हरी घास की घाटी थी। जहाँ कभी कोई इंसान नहीं पहुँच सकता था। तरह-तरह के फूलों, छोटे-छोटे सुंदर पौधों और बड़े-बड़े पेड़ों से सजी थी यह घाटी। वहाँजाने कितने तरह के पक्षी रहते थे। वहाँ वे अपना घोंसला बनाते, अंडे देते और अपने बच्चों को बड़ा करते थे। गिलहरी और खरगोश वहाँ बिना किसी डर के घूमा करते थे।

वहाँ एक बहुत सुंदर पेड़ था जिसकी पत्तियाँ सुनहरी थीं और जिसके फूल रंग बदलते थे। वे कभी लाल हो जाते, कभी पीले हो जाते और कभी गुलाबी रंग के बन जाते। वह एक जादुई पेड़ था और वह उस घाटी में रहने वाले पशु-पक्षियों को ही दिखाई देता था



उस पेड़ के तने में दो छोटे-छोटे दरवाजे थे जो वहाँ रहने वाली दो पारियों के घर के दरवाजे थे। उन दरवाजों में एक नीले रंग का था तो दूसरा गुलाबी रंग का था। नीले रंग का दरवाजा नील परी के घर का था और गुलाबी दरवाजा पिंक परी के घर का। इन दोनों परियों के उपर उस घाटी के जानवरों और पेड़-पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी थी।

पिंक परी के पंख गुलाबी रंग के थे और बाल लाल-गुलाबी। वह स्वभाव से बहुत मिलनसार थी। वह हमेशा मुसकुराती, उसकी आवाज बहुत मीठी थी, उसे क्रोध करते किसी ने नहीं देखा था।




जब भी वहाँ रहने वाले किसी भी पशु-पक्षी को कोई तकलीफ या किसी मदद की जरूरत होती तो वे दौड़े-दौड़े पिंक परी के पास आते। वह उन्हें साहस देकर हमेशा उनकी मदद करती।

जब भी खरगोश, गौरैया, मैना, गिलहरी माएँ भोजन की खोज में बाहर जातीं तो पिंक परी सभी बच्चों को बैठाकर कहानी सुनाया करती। चिड़ियाँ केबच्चे जब उड़ना सीखते तो पिंक परी उनके साथ रहती। अगर वे गिर जाते तो उन्हें उठाकर उनके घोसलों में वापस रख देती। रात को वह प्रायः दो-तीन चक्कर लगाकर देख लेती कि सभी सुरक्षित हैं या नहीं। वे सभी पिंक परी से अत्यधिक प्यार करते थे।




सिर्फ जानवर ही नहीं पेड़-पौधे भी पिंक परी से बहुत प्यार करते थे। अगर किसी पेड़ की कोई डाल टूट जाती या वह बीमार हो जाता तो पिंक परी जड़ी-बूटियों का रस लगाकर या दवा उनकी जड़ों में डाल कर उनका इलाज करती। किसी पौधे में अगर कलियाँ आईं तो वह उसके आस-पास सुरक्षा का एक घेरा बना देती ताकि कोई उन्हें तोड़ न सके। लताओं के पौधे को पेड़ों की टहनियों का सहारा देकर सजा देती। पिंक परी के गुलाबी पंखों पर सुनहरे रंग के बड़े-बड़े गोले बने थे। उन्हें देखकर ऐसा लगता था कि जल्द ही पूरे पंख सुनहरे रंग के बन जाएँगे।

नील परी पिंक परी की बहन थी। उसके पंख नीले थे और बाल भूरे-नीले। नील परी दिल की तो बहुत अच्छी थी पर स्वभाव की तेज थी। उसे बहुत जल्दी क्रोध आ जाता था। उसमें धीरज की कमी थी। एक काम को वह बहुत देर तक लगातार नहीं कर पाती थी। वह बहुत जल्दी किसी भी काम से ऊब जाती और उसे बीच में ही छोड़कर दूसरा काम करने लगती। पहला काम अधूरा ही रह जाता।




नील परी भी पिंक परी की तरह सबकी प्यारी बनना चाहती थी। वह पिंक परी की तरह काम करने की कोशिश करती पर न जाने क्यों बात बनती नहीं थी।

पिछली बार जब वह सभी बच्चों को कहानी सुनाने बैठी तो किसी एक बात पर छोटा गुल्लु खरगोश हँसने लगा। नील परी ने उसे चुप होने के लिए कहा पर वह तो हँस-हँस कर लोट-पोट ही होने लगा। बस, नील परी को गुस्सा आ गया उसका रंग नीले से काला हो गया। उसके पंखों का आकार बड़ा हो गया। वे इतनी तेजी से फड़फड़ाने लगे कि तेज आँधी की तरह हवा और धूल उड़ने लगी। सभी बच्चे डरकर दौड़ने, भागने और चिल्लाने लगे।

पिंक परी जल्दी से वहाँ आई और उसने सभी बच्चों को एक बड़े पेड़ के खोखले तने में सुरक्षित छुपा दिया फिर वह अपनी जादुई बाँसुरी पर मीठी सी धुन बजाने लगी। उस धुन को सुनकर धीरे-धीरे नील परी शांत हो गई और उसका रंग फिर से नीला हो गया।


इसी तरह नील परी एक जब एक दिन माधवी लता के पौधे को नीम के पेड़ की टहनी के सहारे सजा रह थी तो पौधे से उसकी बहस हो गई। माधवी लता ने कहा वह नीम के पेड़ का सहारा नहीं चाहती। नील परी का कहना था कि नीम का पेड़ उसके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है क्योंकि माधवी लता बहुत जल्दी बीमारी का शिकार बन जाती थी।

जब माधवी लता आनाकानी करने लगी तो नील परी को गुस्सा आ गया। उसने बबूल के कांटे वाले पेड़ में उस लता को चढ़ने का निश्चय कर लिया। माधवी लता डर के मारे शोर मचाने लगी। तभी पिंक परी वहाँ आई और उसने नील परी और माधवी लता दोनों को समझाकर शांत किया। उसने माधवी की एक डाल को नीम के पेड़ पर और दूसरी डाल को उसकी पसंद के पेड़ पर चढ़ा दिया है।



इसी तरह जब भी नील परी कोई मदद का काम करती तो कोई न कोई छोटी-मोटी गड़बड़ हो जाती और वह क्रोध में आकर सब कुछ भूल जाती पर जब बाद में उसका क्रोध शांत हो जाता तो वह बहुत दुखी होती।

नील परी के पंख पर एक भी सुनहरे रंग का गोला नहीं था। जब भी कोई परी लंबे समय तक दूसरों की मदद करना, खुद खुश रहना और दूसरों को खुश रखने जैसे कार्य करती तो उसके पंखों का थोड़ा सा हिस्सा सुनहरा बन जाता था।




जब पंख पूरे सुनहरे बन जाते तो उस परी को बड़े सम्मान के साथ परी रानी के दरबार में ले जाया जाता जहाँ उसे और भी बहुत सारी जादुई शक्तियाँ मिलतीं। ऐसी परी को दुनिया के एक बड़े हिस्से में मदद करने का कार्य दिया जाता।

पिंक परी का बस अब बहुत थोड़ा सा हिस्सा सुनहरा होना बाकी था। कुछ ही महीनों में वह परी रानी के दरबार में जाने को तैयार हो जाएगी। नील परी भी कभी-कभी बहुत कोशिश करती और उसके पंखों में एक-दो सुनहरे गोले चमकने लगते पर फिर वह सब कुछ भूलकर क्रोध में आ जाती और वे सारे चमकते सुनहरे रंग गायब हो जाते। उसके पंख फिर से साधारण नीले बन जाते।





आज नील परी बहुत उदास थी। पिंक परी अगले दिन यहाँ से जाने वाली थी। उसके पंख पूरे सुनहरे हो गए थे। वे सोने की तरह चमक रहे थे। उसे रानी के दरबार से बुलावा आया था। ऐसे में पिंक परी नील परी के पास आई।

उसने कहा-“नीलू! मैं जानती हूँ कि तुम दुखी हो पर मैं खुश हूँ कि अब मुझे और अधिक लोगों की सहायता करने का मौका मिलेगा। मुझे तुम पर पूरा विश्वास है कि तुम जरूर इस घाटी की जिम्मेदारी संभाल लोगी। तुम दिल की बहुत अच्छी हो क्योंकि तुम दूसरों का भला चाहती हो।”


नील परी ने कहा-“पर मेरा क्रोध! तब मैं सब कुछ भूल जाती हूँ। अब तो सब मुझसे डरते हैं। मैं कभी भी तुम्हारी तरह नहीं बन सकती।”

पिंक परी ने कहा-“पर तुम्हें मेरी तरह नहीं बनना है, तुम्हें तो अपनी तरह बनना है। जिस दिन तुम दूसरों की खुशी के बारे मैं सोचने लगोगी, तुम्हारा क्रोध खुद खत्म हो जाएगा। आज से मैं तुम्हें यह जिम्मेदारी देती हूँ कि एक दिन तुम अपने सुनहरे पंखों के साथ मेरे पास आओगी। वरना तुम और मैं फिर कभी साथ-साथ नहीं रह पाएँगे। बताओ क्या तुम वचन देती हो?”


आँसू भरी आँखों से नील परी ने अपनी बहन को वचन दिया। उस रात उसने दृढ़ निश्चय किया अब से वह अपने बारे में नहीं बल्कि अपनी बहन पिंक परी और उसको दिए गए वचन के बारे में ही सोचेगी।

अगले दिन पिंक परी को लेने एक सुंदर विमान आया जिसमें बैठकर वह रानी के दरबार में चली गई। उस घाटी के पशु-पक्षी खुश भी थे और दु:खी भी थे। अब कौन उनकी मदद करेगा? वे किससे सहायता माँगेंगे? यह सोचकर वे परेशान थे। नील परी से वे सभी डरते थे।





उसी दिन दोपहर को आकाश काले बादलों से भर गया। तेज हवाएँ चलने लगीं। पशु-पक्षी अपने-अपने बच्चों को छोड़कर भोजनकी तलाश में गए थे। वे डरकर जल्दी लौटने की कोशिश करने लगे।

तेज हवा आँधी में बदलने लगी। पक्षियों के घोंसले जोर-जोर से हिलने लगे। उसमें बैठे छोटे-छोटे बच्चे डरकर चिल्लाने लगे। तभी नील परी एक बड़ी टोकरी ले आई। वह धीरे-धीरे उन बच्चों को टोकरीमें रखकर अपने और पिंक परी के घर पर रखकर आने लगी।




उसने गुल्लु खरगोश को बुलाया। वह डरते-डरते आया। नील परी ने उससे कहा-“डरो मत गुल्लु, क्या तुम मेरी मदद करोगे?” गुल्लु ने हाँ में सर हिलाया। नील परी ने कहा-“गुल्लु जल्दी से अपने सभी खरगोश और गिलहरी मित्रों को बुला लो और तुम सब बरगद के पेड़ के तने में बने बड़े खोखल में पहुँच जाओ। मैं अभी आती हूँ।"


नील परी जल्दी से अपने घर गई और वहाँ बैठे पक्षियों के बच्चों को ढेर सारी खाने की चीजें दीं। वे चुप हो गए और खाकर सो गए। नील परी कई कंबल, बीज, घास-पत्ते और एक लालटेन लेकर बरगद के तने में बने खोखल पर पहुँची।



वहाँ उसने कंबल बिछा दिए, बीज और घास-पत्ते एक कोने में रखे और लालटेन एक ओर झूला दी। जब सभी खरगोश और

गिलहरी के बच्चे वहाँ आ गए तो उसने कहा-“बच्चों तुम सभी यहाँ सुरक्षित हो। ये कुछ खाने का समान है तुम्हारे लिए। तुम इन्हें खाकर आराम से सो जाओ। मैं तुम्हारे माता-पिता की खोज में जाती हूँ।” यह कहकर नील परी बाहर आई और उसने टहनियों से बने दरवाजे से खोखल का मुँह ढक दिया।

हवा तेज हो गई थी। बादलों और धूल के कारण अंधेरा होने लगा था। नील परी ने जल्दी से अपनी जुगनुओं वाली लालटेन ली

और उस ओर चली जहाँ से पशु-पक्षी आने वाले थे। वे सभी अभी दूर थे, अपने बच्चों और घर की चिंता से व्याकुल थे। अंधेरे में उन्हें रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था। तभी उन्हें दूर से अपनी ओर आता हुआ प्रकाश दिखाई दिया।



वह नील परी थी। हवा उसे तेजी से उड़ाने की कोशिश कर रही थी। उसके पंख हवा के कारण मुड़ जा रहे थे पर वह पूरी हिम्मत के साथ उनकी ओर आ रही थी। उसे देखकर सभी पशु-पक्षी में उत्साह आ गया। उन सभी ने नील परी का साथ दिया। हिम्मत के साथ आँधी का सामना करते हुए वे घर पहुँचे।

अपने बच्चों को सुरक्षित देखकर वे बहुत खुश हुए। उनके घर आँधी के कारण थोड़े टूट गए थे पर उन्हें डर नहीं था। कल सुबह नील परी की मदद से वे फिर से अपने घर बना लेंगे। उन्हें नील परी पर विश्वास हो गया था। अब वे अकेले नहीं थे।


कुछ देर बाद आँधी खत्म हो गई। आसमान साफ हो गया, चाँद निकल आया। चाँद की रोशनी चारों तरफ फैल गई। सब शांत हो गया। पशु-पक्षियों को जहाँ भी जगह मिली, वे थककर सो गए। नील परी भी नींद में डूबी थी और चाँद की रोशनी में उसके पंखों पर बने दो-तीन सुनहरे गोले चमक रहे थे।

Like And Share






“कहानी हमें हँसाती है , रुलाती है, बहलाती है और एक मित्र की तरह बिना डाँटे समझाती भी है ।”

HINDI story

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *